Saturday 16 January 2016

“स्टार्ट अप इंडिया” का एक्शन प्लान

पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट स्टार्ट अप इंडिया एक्शन प्लान को अंततः लांच कर दिया। दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने देश की युवा शक्ति  से आह्वान करते हुए कहा कि अब युवा जॉब सीकर नहीं, बल्कि जॉब क्रिएटर बनें। स्टार्ट अप की खूबियां बताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि अगर हमारे यहां मिलियन समस्याएं हैं तो बिलियन माइंड भी हैं।
विज्ञान भवन में युवाओं को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा कि स्टार्टअप इंडिया को मैं स्टैंडअप इंडिया मानकर चलता हूं। उन्होंने स्टार्ट अप इंडिया के लिए हैंड होल्डिंग की व्यवस्था पर बल दिया। मोदी ने स्टार्ट अप के एक्शन प्लान के बारे में कहा कि स्टार्ट अप के लिए तीन साल तक कोई निरीक्षण नहीं होगा।
स्टार्ट अप की खूबियों पर उन्होंने कहा  कि पेटेंट के लिए निशुल्क कानूनी सहायता उपलब्ध कराई जाएगी, फीस 80 फीसदी कम होगी। स्टार्ट अप में जीरो डिफेक्ट, जीरो इफेक्ट पर बल दिया जाएगा। सरकारी खरीद में स्टार्ट अप को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए जाएंगे। स्टार्ट अप के लिए मोबाइल एप और पोर्टल उसी के जरिए आसान रजिस्ट्रेशन।
स्टार्ट अप के लिए बड़ी राहत देते हुए उन्होंने कहा कि स्टार्ट अप को तीन साल तक इनकम टैक्स से छूट दी जाएगी। इसके अलावा कैपिटल गेन टैक्स से भी स्टार्ट अप को मुक्ति दी जाएगी। क्रेडिट गारंटी फंड की स्थापना होगी। 90 दिन के भीतर विफल स्टार्ट अप से एक्जिट की सुविधा भी ली जा सकेगी। सेल्फ सर्टिफिकेशन की सुविधा, रजिस्ट्रेशन, फॉर्म आदि भी आसान बनाए जाएंगे।
स्टार्ट अप को लेकर मोदी का एक्शन प्लान
1-वर्ल्ड क्लास बनने की क्षमता रखने वाले 10 इन्क्यूबेटरों की प्रतिवर्ष पहचान कर उन्हें 10-10 करोड़ की आर्थिक मदद दी जाएगी।
2-छात्रों के लिए इनोवेशन के प्रोग्राम शुरू किए जाएंगे। 5 लाख स्कूलों के 10 लाख बच्चों पर फोकस किया जाएगा।
3-अटल इनोवेशन मिशन का आगाज होगा, जिसके तहत इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
4-स्टार्ट अप की संपत्ति बेचकर नए स्टार्ट अप में लगाने वालों को कैपिटल गेन टैक्स से मुक्ति दी जाएगी।
5-स्टार्ट अप को तीन साल तक इनकम टैक्स से छूट दी जाएगी।
6-स्टार्ट अप के लिए क्रेडिट गारंटी फंड की स्थापना होगी।
7-90 दिन के भीतर विफल स्टार्ट अप से एक्जिट की सुविधा दिलाई जाएगी।
8-सरकारी खरीद में स्टार्ट अप को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
9-पेटेंट के लिए निशुल्क कानूनी सहायता उपलब्ध कराई जाएगी, फीस 80 फीसदी कम होगी।
10-स्टार्ट अप के लिए मोबाइल एप और पोर्टल जारी होगा और उसी के जरिए आसान रजिस्ट्रेशन की सुविधा दी जाएगी।
11-स्टार्ट अप के लिए सेल्फ सर्टिफिकेशन की सुविधा दी जाएगी, रजिस्ट्रेशन, फॉर्म आदि आसान बनाए जाएंगे।
12- स्टार्ट अप इंडिया हब बनाया जाएगा, हैंड होल्डिंग की व्यवस्था पर बल दिया जाएगा।
13-श्रम व पर्यावरण कानून को लेकर राहत दी जाएगी। तीन साल तक कोई निरीक्षण नहीं होगा।
14-बायो टेक सेक्टर की मदद के लिए 5 नए बायो क्लस्टर बनाए जाएंगे।
15-महिला उद्यमियों की मदद के लिए नई नीतियां बनाई जाएंगी।

Tuesday 5 January 2016

‘उदय’ (उज्‍जवल डिस्‍कॉम आश्‍वासन योजना) योजना

भारत सरकार, झारखण्‍ड राज्‍य और जेबीवीएनएल (झारखण्‍ड बिजली वितरण निगम लिमिटेड) ने जेबीवीएनएल के परिचालन और वित्‍तीय कायापलट के लिए यहां ‘उदय’ (उज्‍जवल डिस्‍कॉम आश्‍वासन योजना) योजना के अंतर्गत एक सहमति पत्र पर हस्‍ताक्षर किए हैं। डिस्कॉम के परिचालन और वित्‍तीय कायापलट के लिए सहमति पत्र पर हस्‍ताक्षर झारखण्‍ड के मुख्‍यमंत्री श्री रघुबीर दास, बिजली मंत्रालय में सचिव श्री पी.के.पुजारी, नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय में सचिव श्री उपेन्द्र त्रिपाठी, कोयला मंत्रालय में सचिव श्री अनिल स्वरूप एवं झारखण्ड के मुख्य सचिव श्री राजीव गौबा की गरिमापूर्ण उपस्थिति में बिजली मंत्रालय में संयुक्त सचिव (वितरण), झारखण्ड के प्रमुख सचिव (ऊर्जा) श्री एस.के.जी.रहाटे एवं झारखण्ड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) के प्रबंध निदेशक श्री अमित कुमार द्वारा किए गए। ‘उदय’ के माध्‍यम से झारखण्‍ड लगभग 5,300 करोड़ रुपये का समग्र शुद्ध लाभ प्राप्‍त करेगा। इस सहमति पत्र पर हस्‍ताक्षर देश में ‘उदय’ के अंतर्गत प्रमुख बिजली वितरण सुधारों के प्रारम्‍भ का सूचक होगा। 

इस अवसर पर झारखण्ड के मुख्यमंत्री श्री रघुबर दास ने कहा कि देश के बिजली क्षेत्र के इतिहास में यह एक ऐतिहासिक क्षण है। यह सहमति पत्र राज्य के शेष 2200 गांवों का विद्युतीकरण करने में मदद करेगा और इस प्रकार प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सभी देशवासियों को 24 घंटे बिजली मुहैया कराने के विजन को साकार करेगा। उन्होंने यह जानकारी भी दी कि झारखण्‍ड सरकार 434 गांवों को ऑफ ग्रिड बिजली मुहैया कराने पर विचार कर रही है जिनके सामने भौगोलिक बाधाएं हैं। बिजली मंत्रालय में सचिव श्री पी.के.पुजारी ने कहा कि ‘उदय’ देश के बिजली वितरण क्षेत्र में एक नए युग का सूत्रपात करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस योजना में सभी हितधारकों की चिंताओं को ध्यान में रखा गया है और इसमें सभी संबंधित पक्षों के लिए लाभ की स्थिति है। 

यह समझौता जेबीवीएनएल के लिए काफी फायदेमंद होगा। इसके तहत झारखण्ड, सीपीएसयू पर बकाये की 100 प्रतिशत जिम्‍मेदारी लेगा। साथ ही, यह 30-09-2015 को मौजूदा जेबीवीएनएल के 75 प्रतिशत बकाये कर्ज की भी जिम्‍मेदारी लेगा। इससे जेबीवीएनएल को ब्‍याज लागत के तौर पर 115 करोड़ रुपये की वार्षिक बचत होगी। इस व्‍यवस्‍था से जेबीवीएनएल का कर्ज 1,165 करोड़ रुपये से घटकर 291 करोड़ रुपये हो जाएगा। इस तरह उसे 874 करोड़ रुपये की बचत होगी। बकाया कर्ज राज्‍य सरकार की ओर से जारी होने वाले गारंटीशुदा डिस्‍कॉम बॉन्‍ड के जरिये अदा किया जाएगा। ये बॉंन्‍ड मौजूदा औसत ब्‍याज दर से तीन प्रतिशत कम के कूपन दरों पर जारी किए जाएंगे। इस विशेष व्‍यवस्‍था के तहत जेबीवीएनएल अपने ऊपर केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के 6,000 करोड़ रुपये के बकाये का निपटारा कर सकेगी। इससे डिस्‍कॉम को बिजली उत्‍पादकों के बकाये पर लगने वाले सरचार्ज के जरिये सालाना 1,000 करोड़ रुपये की बचत होगी। उदय के मूल में परिचालन के टिकाऊपन और वित्‍तीय प्रदर्शन समाहित है। उदय के जरिये झारखण्ड राज्‍य और जेबीवीएनएल परिचालन सक्षमता को आगे बढ़ाएंगे। परिचालन सक्षमता के नये कदमों के तौर पर राज्‍यों की ओर से फीडर और डिस्‍ट्रीब्‍यूशन ट्रांसफॉर्मर मीटरिंग को अनिवार्य किया जाएगा। इसके अलावा, उपभोक्‍ता सूचकांक, बिजली हानि की जीआईएस मैपिंग, ट्रांसफॉर्मरों और मीटरों को बदलने और उन्‍हें अपग्रेड करने के कदम उठाए जाएंगे। साथ ही, 200 यूनिट प्रतिमाह बिजली खर्च करने वाले उपभोक्‍ताओं के लिए स्‍मार्ट मीटर लगाए जाएंगे। कम एटीएंडसी हानि के जरिये बिजली सप्‍लाई बढ़ाई जाएगी। एटीएंडसी हानि में कमी से ही वित्‍त वर्ष 2019 तक जेबीवीएनएल को 2,000 करोड़ रुपये अतिरिक्‍त राजस्‍व हासिल होने की उम्‍मीद है। 

मांग को ध्यान में रखते हुए उदय (यूडीएवाई) की पहल के जरिये जैसे सक्षम एलईडी बल्ब, खेती के कामों में इस्तेमाल किए जाने वाले पंप, पंखे व एयर-कंडिशनर व पीएटी (काम, उपलब्धि, व्यापार) के आधार पर सक्षम औद्योगिक मशीनों से झारखण्ड में बिजली के उपभोग की अत्याधिक मांग को चरम अवस्था में कम करने, विभाजित करने में मदद मिलेगी। 

समझौते ज्ञापन पत्र में इस बात पर ध्यान दिया गया है कि झारखण्ड राज्य और जेबीवीएनएल वर्ष 2018-19 तक लगभग 40 से 50 प्रतिशत के वर्तमान स्तर के एटीएंडटी हानियों को कम करने के लिए एक निर्दिष्ट एटीएंडसी हानि ट्रान्जैक्टरी का पालन करेंगे। इस आशय से, झारखण्ड बिलिंग दक्षता में वित्तीय वर्ष 2016 के 73 प्रतिशत से वित्तीय वर्ष 2019 में 85 प्रतिशत तक और संग्रह दक्षता में वित्तीय वर्ष 2016 के 89 प्रतिशत से वित्तीय वर्ष 2019 तक 100 प्रतिशत तक सुधार लाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसी प्रकार से, आपूर्ति की औसत लागत (एसीएस) और औसत राजस्व प्राप्ति (एआरआर) के बीच के अंतर को वित्तीय वर्ष 2015 के 3.55 रूपए प्रति यूनिट से वित्तीय वर्ष 2019 तक शून्य तक घटाया जाएगा। संशोधन अवधि की संपूर्णता के दौरान, झारखंड राज्य सरकार निर्बाध नकद प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए संशोधन अवधि के दौरान, जेबीवीएनएल को वित्तीय वर्ष 2016 में 2,321 करोड़ रूपए से वित्तीय वर्ष 2019 में शून्य के लिए एक वर्गीकृत संचालन वित्तपोषण आवश्यकता (ओएफआर) सहायता में विस्तार करेगी। यह सुनिश्चित करने के लिए कि विभिन्न उद्देश्यों एवं मध्यस्ताओं पर लक्षित गति से आगे बढ़ा जा सके, समझौते ज्ञापन पत्र में जेबीवीएनएल के विभिन्न अधिकारियों की पहचान की गई है जो उदय (यूडीएवाई) में शामिल विभिन्न गतिविधियों के संदर्भ में उत्तरदायी हों। 

इस समझौते से झारखण्ड की जनता को सबसे अधिक लाभ होगा। डिस्कॉम से विद्युत की मांग बढ़ने से उत्पादन इकाइयों का पीएलएफ उच्च होगा और इसके परिणामस्वरूप, विद्युत की प्रति इकाई लागत में कमी आने से उपभोक्ताओं को लाभ मिलेगा। इस योजना से, झारखण्ड में ऐसे करीब 2,333 ग्रामों और 29 लाख परिवारों को विद्युत की शीघ्र उपलब्धि को सुनिश्चित किया जा सकेगा, जहां आज भी बिजली नहीं है। इसके परिणामतह: 24 घंटे बिजली की उपलब्धता से उपभोक्ताओं के जीवन स्तर में सुधार होगा। खनिज समृद्ध झारखंड में, व्यापार और उद्योग लाभांवित होंगे और इससे राज्य में विनिर्माण प्रक्रिया में वृद्धि के साथ-साथ कृषि और आर्थिक विकास को गति मिलेगी। 

‘उदय’ योजना भारत सरकार ने 20 नवम्‍बर, 2015 को राज्‍यों, वितरण कम्‍पनियों, बैंकों और वित्‍तीय संस्‍थाओं सहित विभिन्‍न हितधारकों के परामर्श से प्रारम्‍भ की थी, ताकि देश भर की बिजली वितरण इकाइयों को लगभग 4.3 लाख करोड़ रूपये के काफी अर्से से लम्बित कर्ज से उबरने में सक्षम होने का सतत् समाधान उपलब्‍ध कराया जा सके। यह योजना कर्ज के बोझ से दबी बिजली वितरण कम्‍पनियों को किफायती दरों पर पर्याप्‍त मात्रा में बिजली की आपूर्ति करने में सहायता देगी, सरकार को गांवों का शत-प्रतिशत विद्यु‍तीकरण करने की दिशा में प्रयास करने में सक्षम बनाएगी, सभी को 24X7 बिजली और स्‍वच्‍छ ऊर्जा की आपूर्ति करेगी। इन हस्‍तक्षेपों से राष्‍ट्र को अपने नागरिकों के जीवन स्‍तर को बेहतर बनाने और समग्र आर्थिक वृद्धि की रफ्तार में तेजी लाने तथा “मेक इन इंडिया’’ और “डिजिटल इंडिया’’ जैसी राष्‍ट्रीय प्राथमिकताओं की राह की बाधाओं को दूर करने में सहायता मिलेगी। 

केंद्र सरकार डिस्कॉम को प्रोत्साहित करेगी और राज्य सरकार का लक्ष्य बिजली के बुनियादी ढांचे को बढ़ाना व बिजली की लागत को कम करना होगा। केंद्र सरकार की योजनाओं जैसेकि डीडीयूजीजेवाई, आईपीडीएस, पॉवर सेक्टर डेवलपमेंट फंड या एमओपी व एमएनआरई जैसी अन्य योजनाओं में से झारखण्ड राज्य को विशेष वरीयता दी जाएगी। राज्य को अधिसूचित दर पर अतिरिक्त कोल के जरिये भी मदद मिलेगी और एनटीपीसी व अन्य सीपीएयू में बिजली की उच्च क्षमता उपभोग, कम लागत की बिजली की उपलब्धता के जरिये भी मदद मिलेगी। कोल आवागमन, कोल रैशनलाइजेशन, कोल ग्रिड में गिरावट व 100 प्रतिशत साफ कोयले को जरिये राज्य में बिजली लागत को कम किया जा सकेगा। केवल इन सबसे 146 करोड़ रुपये का लाभ प्राप्त हो सकेगा। आर्थिक व संचालन में कुशलता के जरिये आर्थिक प्रतिवर्तन से डिस्कॉम के मूल्यांकन में बढ़ोत्तरी होगी, साथ ही भविष्य में पूंजीगत निवेश जरुरतों की कीमत को भी वहन किया जा सकेगा। इन सबसे दीर्घकालीन संचालन में सुधार हो सकेगा। 

उदय के अंतर्गत, इस समझौते ज्ञापन पत्र पर हस्ताक्षर से समूचे विद्युत क्षेत्र में सुधारों की प्रक्रिया में तेजी आएगी और सभी के लिए सस्ती, सुलभ बिजली की उपलब्धता को सुनिश्चित किया जाएगा। सही अर्थो में, इस योजना से एक ‘’शक्तिशाली’’ भारत के उदय का सूत्रपात भी होगा। 

Monday 4 January 2016

भारत के किन-किन क्षेत्रों में है भूकंप का खतरा, जानें महत्वपूर्ण तथ्य

भूकंप का खतरा देश में हर जगह अलग-अलग है। इस खतरे के हिसाब से देश को चार हिस्सों में बांटा गया है। जोन-2, जोन-3, जोन-4 तथा जोन-5। सबसे कम खतरे वाला जोन 2 है तथा सबसे ज्यादा खतरे वाला जोन-5 है। नार्थ-ईस्ट के सभी राज्य, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड तथा हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्से जोन-5 में आते हैं।

उत्तराखंड के कम ऊंचाई वाले हिस्सों से लेकर उत्तर प्रदेश के ज्यादातर हिस्से, दिल्ली जोन-4 में आते हैं। मध्य भारत अपेक्षाकृत कम खतरे वाले हिस्से जोन-3 में आता है, जबकि दक्षिण के ज्यादातर हिस्से सीमित खतरे वाले जोन-2 में आते हैं, लेकिन यह एक मोटा वर्गीकरण है।

दिल्ली में कुछ इलाके हैं जो जोन-5 की तरह खतरे वाले हो सकते हैं। इस प्रकार दक्षिण राज्यों में कई स्थान ऐसे हो सकते हैं जो जोन-4 या जोन-5 जैसे खतरे वाले हो सकते हैं। दूसरे जोन-5 में भी कुछ इलाके हो सकते हैं जहां भूकंप का खतरा बहुत कम हो और वे जोन-2 की तरह कम खतरे वाले हों।

इसके लिए भूकंपीय माइक्रोजोनेशन की जरूरत होती है। माइक्रोजोनेशन वह प्रक्रिया है जिसमें भवनों के पास की मिट्टी को लेकर परीक्षण किया जाता है और मिट्टी के प्रकार के आधार पर मकानों का डिजाइन तैयार किया जाता है।

आपने गौर किया होगा कि भूकंप की तीव्रता का मापन रिक्टर पैमाने पर किया जाता है। इसके अलावा मरकेली पैमाना ही होता है। आइए जानें क्या हैं ये पैमाने और भारत में कहां-कहां है खतरा।

भूकंप मापन की प्रणाली
आपने गौर किया होगा कि भूकंप की तीव्रता के बारे में उसका मापन रिक्टर पैमाने पर किया जाता है। एक और पैमाना मरकेली है। आइए पहले जाने क्या है रिक्टर पैमाना।

रिक्टर पैमाना
रिक्टर स्केल भूकंप की तीव्रता मापने का एक गणितीय पैमाना है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है। यह एक लघुगुणक आधारित स्केल होता है, जो भूकंप की तरंगों की तीव्रता को मापता है। भूकंप की तरंगों को रिक्टर स्केल 1 से 9 तक के अपने मापक पैमाने के आधार पर मापता है। 9 कोई अंतिम बिंदु नहीं है, बल्कि उससे ऊपर भी यह जा सकता है, लेकिन आज तक इससे ऊपर का भूकंप नहीं आया है। रिक्टर पैमाने को सन 1935 में कैलिफॉर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी में कार्यरत वैज्ञानिक चार्ल्स रिक्टर ने बेनो गुटेनबर्ग के सहयोग से खोजा था।

मापन का आधार
इस स्केल के अंतर्गत प्रति स्केल भूकंप की तीव्रता 10 गुणा बढ़ जाती है और भूकंप के दौरान जो ऊर्जा निकलती है वह प्रति स्केल 32 गुणा बढ़ जाती है। इसका सीधा मतलब यह हुआ कि 3 रिक्टर स्केल पर भूकंप की जो तीव्रता थी वह 4 स्केल पर 3 रिक्टर स्केल का 10 गुणा बढ़ जाएगी। इसको एक उदाहरण के द्वारा समझ सकते हैं। रिक्टर स्केल पर भूकंप की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 60 लाख टन विस्फोटक (TNT) जितना विनाश कर सकता है उतना ही 8 रिक्टर स्केल तीव्रता का भूकंप कर सकता है।

मरकेली स्केल
रिक्टर स्केल के अलावा मरकेली स्केल पर भी भूकंप को मापा जाता है। इसमें भूकंप को उसकी तीव्रता की बजाए उसकी ताकत के आधार पर मापते हैं। पर इसको रिक्टर के मुकाबले कम वैज्ञानिक माना जाता है। क्योंकि भूकंप की ताकत को लेकर लोगों का अनुभव अलग-अलग हो सकता है। साथ ही भूकंप के कारण होने वाले नुकसान के लिए कई कारण जिम्मेवार हो सकते हैं, जैसे घरों की खराब बनावट, खराब संरचना, भूमि का प्रकार, जनसंख्या की बसावट आदि।

भूकंप की तीव्रता

भूकंप की तीव्रता का अंदाजा उसके केंद्र से दूर उससे आहत हुए लोगों पर पड़े असर से लगाया जाता है।  अगर भूकंप की गहराई उथली हो तो इससे बाहर निकलने वाली ऊर्जा सतह के काफी करीब थी, जिसने तबाही ज्यादा बढ़ा दी। वहीं जो भूकंप गहरे होते हैं वह जमीन को ज्यादा नहीं हिलाते। पाकिस्तान में आए भूकंप का केंद्र 84 किमी नीचे था, इसलिए काफी तीव्रता का भूकंप होने के बाद भी इससे अधिक नुकसान नहीं हुआ।

विभिन्न रिक्टर स्केलों पर भूकंप
- रिक्टर स्केल के अनुसार 2.0 की तीव्रता से कम वाले भूकंपीय झटकों की संख्या रोजाना लगभग आठ हजार होती है जो इंसान को महसूस ही नहीं होते।

- 2.0 से लेकर 2.9 की तीव्रता वाले लगभग एक हजार झटके रोजाना दर्ज किए जाते हैं, लेकिन आम तौर पर ये भी महसूस नहीं होते।

- रिक्टर स्केल पर 3.0 से लेकर 3.9 की तीव्रता वाले भूकंपीय झटके साल में लगभग 49 हजार बार दर्ज किए जाते हैं, जो अक्सर महसूस नहीं होते, लेकिन कभी-कभार ये नुकसान कर देते हैं।

- 4.0 से 4.9 की तीव्रता वाले भूकंप साल में लगभग 6200 बार दर्ज किए जाते हैं। इस वेग वाले भूकंप से थरथराहट महसूस होती है और कई बार नुकसान भी हो जाता है।

- 5.0 से 5.9 तक का भूकंप एक छोटे क्षेत्र में स्थित कमजोर मकानों को जबर्दस्त नुकसान पहुंचाता है जो साल में लगभग 800 बार महसूस होता है।

- 6.0 से 6.9 तक की तीव्रता वाला भूकंप साल में लगभग 120 बार दर्ज किया जाता है और यह 160 किलोमीटर तक के दायरे में काफी घातक साबित हो सकता है।

- 7.0 से लेकर 7.9 तक की तीव्रता का भूकंप एक बड़े क्षेत्र में भारी तबाही मचा सकता है और जो एक साल में लगभग 18 बार दर्ज किया जाता है।

- रिक्टर स्केल पर 8.0 से लेकर 8.9 तक की तीव्रता वाला भूकंपीय झटका सैकड़ों किलोमीटर के क्षेत्र में भीषण तबाही मचा सकता है जो साल में एकाध बार महसूस होता है।

- 9.0 से लेकर 9.9 तक के पैमाने का भूकंप हजारों किलोमीटर के क्षेत्र में तबाही मचा सकता है, जो 20 साल में लगभग एक बार आता है। दूसरी ओर 10.0 या इससे अधिक का भूकंप आज तक महसूस नहीं किया गया।

क्या संभव है भूकंप की भविष्यवाणी?
अभी तक वैज्ञानिक पृथ्वी की अंदर होने वाली भूकंपीय हलचलों का पूर्वानुमान कर पाने में असमर्थ रहे हैं। इसलिए भूकंप की भविष्यवाणी करना फिलहाल संभव नहीं है। वैसे विश्व में इस विषय पर सैकड़ों शोध चल रहे हैं।

भारत में ज्यादातर भूकंप टैक्टोनिक प्लेट में होने वाली हलचलों के कारण आते हैं क्योंकि भारत इसी के ऊपर बसा है, इसलिए खतरा और बढ़ जाता है। लेकिन इन हलचलों का आकलन संभव नहीं है, लेकिन शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि इस टैक्टोनिक प्लेट का हिस्सा आयरलैंड में सतह के करीब है।

शोध चल रहे हैं और हो सकता है कि भविष्य में टैक्टोनिक प्लेट में होने वाली हलचलों का पहले ही अंदाजा लगाने में वैज्ञानिक सफल हो जाएं। लेकिन इसके बावजूद भूकंप की भविष्यवाणी से फायदा यह होगा कि लोगों की जान बच जाएगी, लेकिन भवनों और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर को होने वाली क्षति को हम तब भी नहीं रोक पाएंगे।

दुनिया में नीतिगत स्तर पर दोनों दिशाओं में काम हो रहा है। एक पूर्व सूचना, दूसरे भवन और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट ऐसे बनाए जाएं कि भूकंप से होने वाली क्षति को कम से कम किया जा सके।