Monday 23 March 2015

दहेज कानून बदलने की तैयारी में सरकार!


हर साल दहेज उत्पीड़न के करीब 1 लाख मामलों में लगभग 10 हजार मामले फर्जी पाए जाते हैं। ऐसे आंकड़ों ने दहेज कानून को देश का सबसे विवादास्पद कानून बना दिया है। सरकार अब दहेज कानून में बदलाव की तैयारी कर रही है । खबर है कि आईपीसी की धारा 498-ए को समझौते योग्य बनाया जाएगा। गौरतलब है कि अभी इस कानून में समझौता और बेल, दोनों का ही प्रावधान नहीं है। केस सामने आते ही लड़के पक्ष के लोगों को तत्काल प्रभाव से जांच में निदरेष साबित हो जाने तक हिरासत में ले लिया जाता है। गृह मंत्रलय के सूत्रों की मानें तो मंत्रलय ने ड्राफ्ट तैयार कर केंद्रीय कैबिनेट को सेक्शन 498-ए में बदलाव के लिए भेज दिया है। जानकारी के मुताबिक इस बदलाव के बाद यदि केस फर्जी पाया जाता है, तो जुर्माने की राशि को 1,000 से बढ़ाकर 15, 000 रुपए कर दिया जाएगा। इस कानून में बदलाव की चर्चाएं पहले भी हो चुकी हैं। चार्जशीट के लिए इकबालिया बयान काफी नहीं इधर मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि साक्ष्यों के अभाव में महज स्वीकारोक्ति चार्जशीट दाखिल करने का आधार नहीं हो सकती। साथ ही न्यायालय ने प}ी की हत्या एवं उकसाने के अभियुक्त एवं छह अन्य आरोपितों के खिलाफ केस खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उदाहरण देते जज ने कहा, जब स्वीकारोक्ति के आधार पर साक्ष्य नहीं मिलता तो कानून में स्वीकारोक्ति अस्वीकार्य है। ऐसे में स्वीकारोक्ति के आधार पर चार्जशीट का कोई कानूनी आधार नहीं है। न्यायाधीश आरएस रामनाथन ने कहा, पूरा केस मुख्य संदिग्ध के पुलिस को दिए बयान पर आधारित था। लिहाजा आरोपियों पर आगे मुकदमा चलाने की जरूरत नहीं है। यह है मामला पुलिस के अनुसार नटराजन के अन्य महिला से प्रेम संबंध थे। उसने प्रेमिका से विवाह के मकसद से पत्नी विजयलक्ष्मी की हत्या कर दी। पुलिस ने नटराजन के अलावा उसके अभिभावक, बहन, बहनोई व चाचा को भी आरोपित बनाया। इन पर पीडिता का मोबाइल एवं अन्य निजी वस्तुएं नष्ट कर साक्ष्य छुपाने के प्रयास का आरोप लगाया। आरोपी के खिलाफ हत्या एवं उकसाने की चार्जशीट नामक्कल जिले के परमती की न्यायिक दण्डाधिकारी की कोर्ट में दाखिल की गई। आरोपित के वकील ने तर्क दिया कि पुलिस नटराजन व मां की स्वीकारोक्ति के अलावा अन्य दोष साबित करने लायक साक्ष्य या बयान नहीं जुटा सकी। यहां तक कि पुलिस मोबाइल फोन जैसे साक्ष्य भी एकत्र नहीं कर सकी। झूठी रिपोर्ट पर तलाक का अधिकार महिला अधिकारों को लेकर संघर्ष करने वाले कार्यकर्ता इस कानून में बदलाव का विरोध करते हैं। दिसंबर 2014 में दहेज कानून को लेकर सरकार भी अपने वादे से पीछे हट गई थी। सुप्रीम कोर्ट यह पहले ही कह चुका है कि यदि कोई महिला अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ निराधार रिपोर्ट दर्ज कराती है और उसे कोर्ट में साबित नहीं कर पाती है, तो पति को तलाक लेने का अधिकार होगा।